लाला लाजपत राय की 158वीं जयंती

28 जनवरी, 2023

लाला लाजपत राय की 158वीं जयंती
Lala Lajpat Rai’s 158th birth anniversary

लाला लाजपत राय (28 जनवरी 1865 – 17 नवम्बर 1928) भारत के एक प्रमुख स्वतंत्रता सेनानी थे। इन्हें पंजाब केसरी भी कहा जाता है।

भारत के स्वतंत्रता संग्राम में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले प्रमुख राष्ट्रवादी नेता लाला लाजपत राय का जन्म 28 जनवरी, 1865 को पंजाब में हुआ था।

ये भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के गरम दल के प्रमुख नेता थे। बाल गंगाधर तिलक और बिपिन चंद्र पाल के साथ इस त्रिमूर्ति को लाल-बाल-पाल के नाम से जाना जाता था।

इन्होंने स्वामी दयानन्द सरस्वती के साथ मिलकर आर्य समाज को पंजाब में लोकप्रिय बनाया। लाला हंसराज एवं कल्याण चन्द्र दीक्षित के साथ दयानन्द एंग्लो वैदिक विद्यालयों का प्रसार किया, लोग जिन्हें आजकल डीएवी स्कूल्स व कालेज के नाम से जानते है।

30 अक्टूबर 1928 को इन्होंने लाहौर में साइमन कमीशन के विरुद्ध आयोजित एक विशाल प्रदर्शन में हिस्सा लिया, जिसके दौरान हुए लाठी-चार्ज में ये बुरी तरह से घायल हो गये। उस समय इन्होंने कहा था: “मेरे शरीर पर पड़ी एक-एक लाठी ब्रिटिश सरकार के ताबूत में एक-एक कील का काम करेगी।” और वही हुआ भी; लालाजी के बलिदान के 20 साल के भीतर ही ब्रिटिश साम्राज्य का सूर्य अस्त हो गया। 17 नवंबर 1928 को इन्हीं चोटों की वजह से इनका देहान्त हो गया।

लाला जी की मृत्यु से सारा देश उत्तेजित हो उठा और चंद्रशेखर आज़ाद, भगत सिंह, राजगुरु, सुखदेव व अन्य क्रांतिकारियों ने लालाजी पर जानलेवा लाठीचार्ज का बदला लेने का निर्णय किया। इन देशभक्तों ने अपने प्रिय नेता की हत्या के ठीक एक महीने बाद अपनी प्रतिज्ञा पूरी कर ली और 17 दिसम्बर 1928 को ब्रिटिश पुलिस के अफ़सर सांडर्स को गोली से उड़ा दिया। लालाजी की मौत के बदले सांडर्स की हत्या के मामले में ही राजगुरु, सुखदेव और भगतसिंह को फाँसी की सजा सुनाई गई।

1894 – रचनात्मक स्वदेशी में विशेष कदम के रूप में 19 मई को पंजाब नेशनल बैंक की स्थापना की।

1897 – ब्रिटिश मिशनों को अनाथों की हिरासत से बचाने के लिए हिंदू अनाथ राहत आंदोलन की स्थापना की।

17 नवंबर, 1928 को उनका निधन हो गया।

एलएल राय के लेखन में शामिल हैं:

  1. मेरे निर्वासन की कहानी (1908)
  2. आर्य समाज (1915)
  3. यंग इंडिया (1916)
  4. अनहैप्पी इंडिया (1928)

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