“सपनों की उड़ान”

मध्य प्रदेश के एक छोटे से गाँव, खेरिया में रामलाल अपनी पत्नी, गीता, और दो बच्चों के साथ रहता था। रामलाल एक किसान था, जो दिनभर खेतों में कड़ी मेहनत करता, लेकिन किस्मत उस पर इतनी मेहरबान नहीं थी। उसकी आमदनी सिर्फ रोज़ी-रोटी चलाने के लिए ही काफी होती थी। लेकिन रामलाल के मन में एक सपना था — अपने बच्चों को शिक्षित करना, ताकि वे उसके जैसे संघर्ष न करें।

गाँव के स्कूल में पढ़ाई की सुविधा अच्छी नहीं थी, सिर्फ एक अध्यापक और कुछ पुरानी किताबें थीं। रामलाल जानता था कि अगर उसके बच्चों को अच्छी शिक्षा चाहिए, तो उन्हें शहर के स्कूल में पढ़ना पड़ेगा। लेकिन शहर में स्कूल भेजने का खर्च, किराया, और सफर सब कुछ उसकी आमदनी के बाहर था।

एक रात, जब उसका बेटा मोहन सोया हुआ था, रामलाल ने गीता से कहा, “मोहन को मैं ऐसे ही नहीं रहने दे सकता। मुझे कुछ अलग करना पड़ेगा, चाहे कितनी भी मेहनत करनी पड़े।” गीता ने आँसू पोंछते हुए कहा, “मैं तुम्हारे साथ हूँ, पर यह आसान नहीं होगा।”

अगले दिन से रामलाल ने एक नई शुरुआत की। खेती के काम के बाद वह गाँव के पास की सड़क पर सब्जी बेचने लगा। रातभर मेहनत करता, दिन में एक पल भी आराम नहीं करता। गाँव वाले उसे पागल कहते, “इतनी मेहनत कर के क्या होगा, रामलाल?” लेकिन वह सिर्फ एक ही चीज़ के बारे में सोचता — अपने बच्चों का भविष्य।

एक साल के कड़ी संघर्ष के बाद, रामलाल ने इतना पैसा जमा कर लिया कि वह मोहन को शहर के स्कूल में दाखिल करा सका। पहली बार जब मोहन अपनी नई यूनिफॉर्म में घर से निकला, रामलाल की आँखें खुशी से भर आईं। उसने सोचा, “यह मेरी सारी मेहनत का फल है।”

शहर में पढ़ते हुए मोहन को कई मुश्किलें आईं। वह गाँव से आया था और शहर के बच्चों के बीच काफी पीछे था। लेकिन उसने अपने पिता का संघर्ष देखा था, और उसने भी मेहनत करने की ठान ली। धीरे-धीरे, मोहन अपनी क्लास में सबसे आगे आने लगा। उसने अपने पिता को ख़त लिखा, “बाबा, आपकी मेहनत रंग ला रही है। मैं एक दिन आपका नाम रोशन करूंगा।”

आज मोहन एक बड़ा अफसर बन चुका है, और जब भी उससे उसकी सफलता के बारे में पूछा जाता है, वह सिर्फ एक ही नाम लेता है — रामलाल। उसके पिता ने अपनी किस्मत से लड़ाई की, सिर्फ इस उम्मीद में कि उनका बेटा उन सपनों की उड़ान भर सके जो वह खुद कभी नहीं भर पाया।

यह कहानी एक प्रेरणा है उन सबके लिए जो अपने बच्चों के लिए कुछ भी कर गुजरने को तैयार हैं।

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